Wednesday, February 8, 2017

Anmol Vachan

*_"ठोकरें ख़ाता हूँ पर,_*
    *_"शान" से चलता हूँ।_*
*_मैं खुले आसमान के नीचे,_*
     *_सीना तान के चलता हूँ।_*

*_मुश्किलें तो "साज़" हैं ज़िंदगी का,_*
        *_"आने दो-आने दो"।_*
*_उठूंगा, गिरूंगा फिर उठूंगा_*
*_और_*
*आखिर में "जीतूंगा मैं ही"*
*_ये ठान के चलता हूँ!"_*

       🙏� *सुप्रभात*🙏
  🌹 *जय श्री कृष्णा*🌹

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